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Showing posts from April, 2025

प्रेमचंद की कहानियों में निहित राष्ट्रीय चेतना Premchand kahani aur Rashtriya Chetna

प्रेमचंद की कहानियों में निहित राष्ट्रीय चेतना पर प्रकाश डालिए। प्रेमचंद, हिंदी और उर्दू साहित्य के महान कथाकार, अपनी कहानियों में सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक मुद्दों को प्रमुखता से उकेरते हैं। उनकी कहानियों में निहित राष्ट्रीय चेतना एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो भारतीय समाज की विविध पहलुओं को प्रस्तुत करती है। प्रेमचंद की कहानियां न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि वह एक गहन सामाजिक संदेश भी देती हैं। प्रेमचंद की कहानियों में राष्ट्रीय चेतना के विभिन्न आयामों का स्पष्ट चित्रण मिलता है। उनकी रचनाओं में स्वतंत्रता संग्राम, ग्रामीण जीवन, सामाजिक असमानता, और भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व के भाव प्रमुखता से उभरते हैं। 1.स्वतंत्रता संग्राम की झलक प्रेमचंद की कहानियों में स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और बलिदान का सजीव चित्रण मिलता है। उनकी कहानी ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों के संघर्ष को प्रस्तुत करती है। "सोज़े वतन"(1907) उनकी प्रारंभिक कहानियों का संग्रह हैं ,जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शासन के अत्याचारों और भारतीय जनता के संघर्ष को दर्शाया है । "पूस की रात" जैसी कहानियां ब्रिट...

प्रेमचंद के दलित जीवन संबंधी विचार Premchand Ke Dalit Sambandhi Vichar

मंदिर' और ' सद्गति' कहानी के आधार पर प्रेमचंद के दलित जीवन संबंधी विचारों की विवेचना कीजिए। प्रेमचंद हिंदी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक है, जिन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं का गंभीर अध्ययन और चित्रण किया। उनकी रचनाओं में विशेष रूप से दलित जीवन की समस्याओं और उनकी सामाजिक स्थिति पर गहरा दृष्टिकोण मिलता है। उनकी कहानियां ' मंदिर' और ' सद्गति' दलित जीवन की पीड़ा, संघर्ष और समाज की निर्दयता को बहुत ही मार्मिकता तरीके से प्रस्तुत करती है। इन कहानियों के माध्यम से प्रेमचंद ने दलित जीवन संबंधी अपने विचारों को प्रकट किया है। 'मंदिर' कहानी: 'मंदिर'कहानी में प्रेमचंद ने दलितों के धार्मिक और सामाजिक भेदभाव को उजागर किया है। इस कहानी का मुख्य पात्र जलधारी एक दलित है, जो मंदिर में प्रवेश करना चाहता है। लेकिन उसकी यह आकांक्षा उच्च जाति के लोगों को स्वीकार नहीं है। जलधारी का मंदिर में प्रवेश करने की इच्छा एक सामान्य धार्मिक आकांक्षा है, लेकिन समाज इसे उसकी जाति के कारण पाप समझता है।  जलधारी की यह इच्छा उसे समाज के उच्च वर्गों के क्रोध और हिंसा का शिक...

Real Numbers Online Quiz

Real Numbers Online Quiz Hello Students  Here we are providing online quiz on real numbers. There are 10 questions in the quiz which are subjected to the following topics  Fundamental theorem apartments  LCM and HCF  Relationship between LCM and HCF  Application of fundamental theorem of arithmetics  Rational numbers and irrational numbers  Decimal expansions of rational and irrational numbers  Operations on rational and irrational numbers. Loading…

Class 8 Maths Chapter 3 Quadrilaterals Online Test

 Class 8 Maths Chapter 3 Quadrilaterals Online Test Instructions:-  सबसे पहले Click Here पर टच करें उसके बाद NEXT  पर टच करें अपना नाम भरें अपना रोल नंबर भरें सभी प्रश्नों को ध्यानपूर्वक पढ़ें जो ऑप्शन सही है उसे पर क्लिक करें  जब आप सारे प्रश्न हल कर लें तो उसके बाद सबमिट (Submit)  बटन पर क्लिक करें  Click Here  

विज्ञान शिक्षण की प्रयोगशाला विधि Laboratory Method of Science Teaching

 विज्ञान शिक्षण की प्रयोगशाला विधि Laboratory Method of Science Teaching विज्ञान शिक्षण की प्रयोगशाला विधि Laboratory Method of Science Teaching प्रयोगशाला विधि की परिभाषा एक विद्वान ने इस प्रकार दी है, " प्रयोगशाला विधि से हमारा तात्पर्य है कि छात्रों को इस प्रकार सिखाया जाना चाहिए कि छात्रों को स्वयं प्रयोग करने तथा निरीक्षण करने का अवसर मिले। शिक्षक उनकी क्रियाओं का निरीक्षण करें और छात्रों से निरीक्षण के आधार पर लिखित कार्य करवाएं। प्रयोगशाला विधि से सिखाने में छात्र निश्चित रूप से सक्रिय रहते हैं। प्रयोगशाला विधि के माध्यम से सिखाने में छात्र जितने सक्रिय रहते हैं उतने किसी अन्य विधि द्वारा सिखाने में नहीं रहते। प्रयोगशाला विधि में प्रत्येक बालक स्वयं प्रयोग करता है तथा अपने प्रयत्नों द्वारा परिणाम तक पहुंचने का प्रयास करता है। " You Tube पर Subscribe करें  प्रयोगशाला विधि के गुण  यह विधि बालकों को वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण प्रदान करती है। इस विधि में कक्षा के समस्त बालक सक्रिय होकर निश्चित लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास करते हैं। छात्र वैज्ञानिक परिणामों की स्वयं जां...

लड़की जिसकी मैंने हत्या की कहानी का सारांश

 लड़की जिसकी मैंने हत्या की कहानी का सारांश  लड़की जिसकी मैं हत्या की कहानी सुप्रसिद्ध कन्नड़ कथाकार आनंद जी की यह कहानी है, जो भारतीय समाज को विवेकशील और सहृदयता से देखने की एक प्रभावशाली कोशिश है। यह कहानी फ्लैशबैक शैली में लिखी गई है इस कहानी का नैरेटर स्वयं लेखक है.  शिला शिल्पों में नेरेटर की गहरी दिलचस्पी है, उन्हीं का अध्ययन करने के लिए वह सन 1931 में मैसूर की यात्रा करने के लिए जाते हैं। घूमते - घूमते नागवल्ली नाम के गांव में पहुंचते हैं। वहां वह गांव के प्रभावशाली व्यक्ति श्री करियप्पा के यहां ठहरते हैं। करिअप्पा बड़े ही अच्छे मन से उनका स्वागत करते हैं जिसका बखान खुद लेखक अपने शब्दों में करते है। लेखक सादगी वाला व्यक्ति है वह अपनी पत्नी से इतना प्यार करते हैं कि वह अपनी यात्रा का पूरा विवरण अपनी पत्नी लक्ष्मी को पत्र के माध्यम से भेजते हैं। यह कहानी उसे समय की है जब यात्राएं बैलगाड़ी से की जाती थी और आज की तरह ईमेल एसएमएस या फोन और मोबाइल की सुविधा नहीं थी. उस समय कबूतर, तोता और चिड़िया  ही संदेश लाने ले जाने का काम करते थे. लेखक अपनी पत्नी को पत्र ल...

IGNOU MHD 12 भारतीय कहानी दीदी Bharteey Kahani Didi

इस ब्लॉग में हम इग्नू एम ए हिंदी की द्वितीय वर्ष में निर्धारित पाठ्यक्रम MHD 12 भारतीय कहानियां के अंतर्गत दीदी नामक कहानी का कथासार प्रस्तुत करेंगे यह कहानी मलयालम भाषा की कहानी है जिसके लेखक एम टी वासुदेवन नायर जी है इस कहानी का हिंदी अनुवाद वी दी कृष्णन नम्पियार जी ने किया है । यह एक बहुत ही मार्मिक कहानी है IGNOU MHD 12 भारतीय कहानी दीदी Bharteey Kahani Didi 'दीदी' कहानी का कथानक   कहानी के पात्र :  अप्पू (4 साल का बच्चा), दीदी (अप्पू की माँ ), नानी (दीदी की मां ), अप्पू के मामा, शंकरन नायर  कथानक अप्पू एक 5-6  साल का बच्चा है जिसका जन्म उसकी मां की कोख से विवाह से पहले हुआ है इसलिए नानी दीदी को बहुत भला बुरा कहकर ताने मारती है और अप्पू और दीदी को भी खूब गालियां देती है जिस कारण अप्पू नानी को पसंद नहीं करता है।  अप्पू की नानी उसे अपनी मां को दीदी के नाम से पुकारना सिखा देती है । अप्पू अपनी मां को दीदी के नाम से पुकारने लगता है और वह दीदी से बेहद प्रेम करता है। अप्पू की दीदी भी अप्पू से बहुत प्यार करती है और उसका बहुत ख्याल रखती है और अपने अतीत को...

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के महत्वपूर्ण कथन Bal Vikas Shikshashashtra Mahatwapoorn Kathan

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के महत्वपूर्ण कथन  बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के महत्वपूर्ण कथन Bal Vikas Shikshashashtra Mahatwapoorn Kathan "विकास आंतरिक एवं बाह्य कारणों से व्यक्ति में परिवर्तन है"  अरस्तु "अनुभव द्वारा व्यवहार में रूपांतर लाना ही अधिगम है"  गेट्स "अधिगम व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके बाद के परिवर्तनों के अनुसरण में होता है"   ई ए पील   "सीखना, आदतों ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का आयोजन है। इसमें कार्यों को करने के नवीन तरीके सम्मिलित हैं और इसकी शुरुआत व्यक्ति द्वारा किसी भी बाधा को दूर करने अथवा नवीन परिस्थितियों में अपने समायोजन को लेकर होती हैं। इसके माध्यम से व्यवहार में उत्तरोत्तर परिवर्तन होता रहता है। यह व्यक्ति को अपने अभिप्राय अथवा लक्ष्य को पाने में समर्थ बनाती है।"     क्रो एवं क्रो "विकास एक क्रमिक एवं मंद गति से चलने वाली प्रक्रिया है"  स्कीनर "बाल मनोविज्ञान का नाम बाल विकास इस लिए रखा गया क्योंकि विकास के अंतर्गत अब बालक के विकास के समस्त पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है किसी एक पक्ष पर नहीं...

IGNOU MA Hindi Assignment MHD 10 प्रेमचंद की कहानियां

IGNOU MA Hindi Assignment  MHD 10 MHD 10 प्रेमचंद की कहानियां  निम्नलिखित में से किन्ही दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए (क) काम ऐसा काम ढूंढना जहां कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चांद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है, जिससे सदैव प्यास मिटती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसे वृद्धि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, उसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊं। इस विषय में विवेक की बड़ी आवश्यकता है। मनुष्य को देखो, इसकी आवश्यकता को देखो और अवसर देखो, उसके उपरांत जो उचित समझो, करो । गरजवाले आदमी के साथ कठोरता करने में लाभ ही लाभ है। लेकिन बेगराज को दांव पर पाना जरा कठिन है। इन बातों को निगाह में बांध लो मेरी यह मेरी जन्म भर की कमाई है। संदर्भ यह उद्धरण प्रेमचंद के उपन्यास "गोदान" से लिया गया है, जो भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह अंश समाज में प्रचलित भ्रष्टाचार और अनैतिकता पर तीखा व्यंग करता है। चलिए इस अंश को विस्तृत रूप में समझते हैं। संदर्भ और पृष्ठभूमि "गोद...

लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास की अवस्था का सिद्धांत Lawrence kohalberg Naitik Vikas ki awastha Ka siddhant

लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास की अवस्था का सिद्धांत Naitik Vikas ki awastha Ka siddhant  लॉरेंस कोहलबर्ग ने जीन पियाजे के सिद्धांत को आधार बनाकर नैतिक विकास की अवस्था का सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे उन्होंने तीन भागों में विभाजित किया है। १. पूर्व परंपरागत स्तर या पूर्व नैतिक स्तर  कोहलबर्ग ने इस स्तर की सीमा 4 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक मानी हैं। नैतिक दुविधा से संबंधित प्रश्न उनके लाभ या हानि पर आधारित होते हैं। नैतिक कार्य का संबंध सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से क्या सही है एवं क्या गलत है इससे संबंधित होता है। इसलिए अच्छा या बुरा, सही या गलत की व्याख्या, मिलने वाले दंड या पुरस्कार अथवा नियमों का समर्थन करने वाले व्यक्तियों की शारीरिक क्षमता या उसके परिणाम से मापी जाती है। इसको निम्नलिखित दो चरणों में बांटा जा सकता है १. दंड या आज्ञा पालन अभिमुखता बालकों की मन में आज्ञा पालन का भाव दंड पर आधारित होता है। इस अवस्था में बालक में नैतिकता का ज्ञान होता है। बालक स्वयं को परेशानियों से बचाना चाहता है। कोहलवर्ग का मानना है कि कोई बालक यदि स्वीकृत व्यवहार अपनाता है तो इसका कारण दंड से...

जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत Piaget Sangyanatmak Siddhant

नमस्कार साथियों। टारगेट विद रोशनी एजुकेशन ब्लॉग में आपका स्वागत है। लेख में हम निम्नलिखित बिंदुओं का अध्धयन करेंगे। जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत Piaget Sangyanatmak Siddhant जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत इंद्रिय जनित गामक अवस्था पूर्व संक्रियात्मक अवस्था मूर्त संक्रियात्मक अवस्था औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत का शैक्षिक महत्व। जीन पियाजे ने संज्ञानात्मक विकास को चार अवस्था में विभाजित किया है: जीन पियाजे स्विजरलैंड की मनोवैज्ञानिक थे। बालकों में बुद्धि का विकास किस प्रकार से होता है यह जानने के लिए उन्होंने अपने स्वयं के बच्चों को अपनी खोज का विषय बनाया। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते गए वैसे ही वे उनके मानसिक विकास संबंधी क्रियाओं का भी बड़ी बारीकी से अध्ययन करते रहे। इस अध्ययन के परिणाम स्वरूप उन्होंने जिन विचारों का प्रतिपादन किया उन्हें पियाजे के मानसिक या  संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत  के नाम से जाना जाता है। संज्ञानात्मक विकास का तात्पर्य बच्चों के सीखने और सूचनाएं एकत्रित करने के तरीके से है। जीन पि...

काव्य हेतु लक्षण एवं प्रयोजन Kavya Hetu Lakshan Evam Prayojan

                         इस पोस्ट के माध्यम से आप  काव्य-हेतु  क्या है ? भारतीय और पाश्चात्य काव्यशास्त्रियों ने कितनें काव्य हेतु मानें हैं ? और उनकी क्या परिभाषा दी है ? आदि प्रश्नों के उत्तर दे पाएंगे। काव्य हेतु लक्षण एवं प्रयोजन । शिक्षा विचार । Kavya Hetu Lakshan Evam Prayojan । Shiksha Vichar काव्य हेतु    विश्व में कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जिसके पीछे कारण न हो अर्थात् कारण के बिना कार्य हो ही नहीं सकता। जब प्रत्येक वस्तु के उत्पादन में अवश्य ही कोई न कोई कारण होता है तो फिर साहित्य में कारण का अभाव क्यों ? साहित्य को जीवन की अभिव्यक्ति माना गया है। अतः जिस वस्तु का जीवन से इतना घनिष्ठ संबंध है। उसके आरंभ में कारण न हो यह असंभव है। काव्य अथवा साहित्य के कारणों को विभिन्न नामों से पुकारा गया है आज कारण के लिए हेतु शब्द का प्रयोग अधिक किया जाता है और अब यह रुढ़ भी हो चुका है। अतः हेतु का अभिप्राय उन साधनों से है जो कवि के काव्य रचना में सहायक होते हैं। काव्य-हेतु क्या है ?  इस विषय पर अनेक भारत...