Skip to main content

विज्ञान शिक्षण की प्रयोगशाला विधि Laboratory Method of Science Teaching

 विज्ञान शिक्षण की प्रयोगशाला विधि

Laboratory Method of Science Teaching

विज्ञान शिक्षण | प्रयोगशाला विधि | Laboratory Method | Science Teaching
विज्ञान शिक्षण की प्रयोगशाला विधि
Laboratory Method of Science Teaching


प्रयोगशाला विधि की परिभाषा एक विद्वान ने इस प्रकार दी है, "प्रयोगशाला विधि से हमारा तात्पर्य है कि छात्रों को इस प्रकार सिखाया जाना चाहिए कि छात्रों को स्वयं प्रयोग करने तथा निरीक्षण करने का अवसर मिले। शिक्षक उनकी क्रियाओं का निरीक्षण करें और छात्रों से निरीक्षण के आधार पर लिखित कार्य करवाएं। प्रयोगशाला विधि से सिखाने में छात्र निश्चित रूप से सक्रिय रहते हैं। प्रयोगशाला विधि के माध्यम से सिखाने में छात्र जितने सक्रिय रहते हैं उतने किसी अन्य विधि द्वारा सिखाने में नहीं रहते। प्रयोगशाला विधि में प्रत्येक बालक स्वयं प्रयोग करता है तथा अपने प्रयत्नों द्वारा परिणाम तक पहुंचने का प्रयास करता है।"

प्रयोगशाला विधि के गुण 

  • यह विधि बालकों को वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण प्रदान करती है।
  • इस विधि में कक्षा के समस्त बालक सक्रिय होकर निश्चित लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास करते हैं।
  • छात्र वैज्ञानिक परिणामों की स्वयं जांच करते हैं अतः वह उनके मस्तिष्क में पूर्णता स्पष्ट हो जाते हैं।
  • बालक प्रयोग तथा परीक्षण द्वारा समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं।
  • उनमें उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है।
  • बालकों के निरीक्षण शक्ति का विकास होता है।

प्रयोगशाला विधि के दोष

  • प्रत्येक छात्र के लिए अलग-अलग उपकरण के व्यवस्था करना इसे कठिन बना देता है।
  • इसमें छात्रों का काफी समय नष्ट होता है क्योंकि प्रत्येक छात्र सफलतापूर्वक प्रयोग नहीं कर सकता।
  • जूनियर स्तर पर इसका उपयोग सफलतापूर्वक नहीं हो सकता।
  • मंदबुद्धि छात्र उपकरणों की तोड़फोड़ अधिक करते हैं।
  • रावत व अग्रवाल के अनुसार," योग पद्धति में दक्षता प्राप्त कर लेने का कोई विशेष लाभ अधिकांश छात्रों के लिए नहीं होता क्योंकि आगामी जीवन में कदाचित ही उन्हें इसका प्रयोग करने का अवसर मिले

प्रयोगशाला विधि के लिए सुझाव

  • अध्यापक को चाहिए कि वह छात्रों द्वारा प्रयोग करते समय उनका उचित मार्गदर्शन तथा निरीक्षण करें।
  • कक्षा में पढ़ाते समय जो समस्याएं उपस्थित होती हैं उनका समाधान प्रयोगशाला में ही किया जाना चाहिए।
  • प्रयोग करने के बाद बाद विवाद किया जाना चाहिए।
  • प्रयोगशाला में जाने से पूर्व अध्यापक बाद छात्रों के मध्य वाद विवाद होना चाहिए।
  • छात्रों को प्रयोग करने के लिए वादे नहीं किया जाना चाहिए बल्कि उनमें प्रयोग करने के प्रति रुचि उत्पन्न की जानी चाहिए।

Comments

Popular posts from this blog

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ तथा परिभाषायें shaikshik takniki ka Arth tatha paribhasha

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ तथा परिभाषायें   शैक्षिक तकनीकी का अर्थ   शैक्षिक तकनीकी कोई शिक्षण- पद्धति नहीं है। यह एक ऐसा विज्ञान है, जिसके आधार पर शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्यों की अधिकतम प्राप्ति के लिए विभिन्न व्यूह रचनाओं का विकास किया जा सकता है। अब शिक्षण के उद्देश्य निर्धारित हो जाते हैं तो उनको प्राप्त करने के लिए शैक्षिक तकनीकी अस्तित्व में आती है। सामान्य भाषा में ' तकनीकी ' शब्द का अर्थ ' शिल्प ' अथवा ' कला विज्ञान ' से है। तकनीकी शब्द को ग्रीक भाषा में ' टेक्निकोज ' शब्द से लिया गया है। इस शब्द का अर्थ है ' एक कला ' तकनीकी का संबंध कौशल तथा दक्षता से है।। कुछ वर्ष पहले शैक्षिक तकनीकी को दृश्य- श्रव्य सामग्री से और कक्षा में अध्यापन सामग्री से संबंधित माना जाता था, लेकिन शैक्षिक तकनीकी और श्रव्य - दृश्य सामग्री एक जैसे नहीं है। शैक्षिक तकनीकी की परिभाषायें शैक्षिक तकनीकी के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए विभिन्न परिभाषायें दी गई है जिनका विवरण अग्र प्रकार है- एस.एस. कुलकर्णी के अनुसार, " शैक्षिक तकनीकी को शिक्षण प्रक्रिया में प्...

बी. एस. ब्लूम के ज्ञानात्मक और भावात्मक पक्ष के उद्देश्य Bloom Ke Gyanatmak Bhavatmak Paksh

 बी. एस. ब्लूम के ज्ञानात्मक पक्ष  इस पक्ष का इस पक्ष का विकास प्रोफेसर ब्लूम ने 1956 में किया। इसका संबंध प्रमुख रूप से सूचनाओं, ज्ञान तथा तथ्यों का ज्ञान एवं विषय वस्तु के विश्लेषण, संश्लेषण एवं मूल्यांकन आदि बौद्धिक क्रियाओ से होता है। बौद्धिक प्रक्रियाएं बालक को अधिक अनुभव प्रदान कर अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन की ओर ले जाती है। इस पक्ष के उपवर्गीकरण इस प्रकार है _ ज्ञान  बोध  प्रयोग  विश्लेषण संश्लेषण  मूल्यांकन ज्ञानात्मक उद्देश्य इस बात पर बल देते हैं कि विद्यार्थियों को अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। क्योंकि ज्ञानात्मक पक्ष से संबंधित व्यवहार में प्रत्यय स्मरण तथा पहचान की मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया क्रियाशील रहती है इसलिए स्कूल में पढ़ाई जाने वाले विभिन्न विषयों के द्वारा इस पक्ष को अधिक से अधिक विकसित करने का प्रयास किया जाता है इस पक्ष से संबंधित विभिन्न उद्देश्यों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है- १ ज्ञान - ज्ञान उद्देश्य का संबंध शब्दों, तथ्यों, नियमों, सूचनाओं एवं सिद्धांतों की सहायता से विद्यार्थियों की प्रत्ययस्मरण तथा पहचान संबंधी क...

अभिप्रेरणा का अर्थ एवं परिभाषा | Abhiprerna ka Arth evam Paribhasha | Meaning and definition of motivation

  अभिप्रेरणा का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definition of motivation) अभिप्रेरणा के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम निम्नलिखित परिभाषाऐ दे रहे हैं- थॉमसन - "अभिप्रेरणा व कला है, जिसके द्वारा छात्रों में ज्ञान प्राप्त करने की रुचि उत्पन्न की जाती है।" वूडवर्थ - "अभिप्रेरणा व्यक्तियों की दशा का वह समूह है, जो किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए निश्चित व्यवहार स्पष्ट करते हैं। जॉनसन - "अभिप्रेरणा सामान्य क्रियाकलापों का प्रभाव है, जो प्राणी के व्यवहार को उचित मार्ग पर ले जाती है। मैकडूगल - "अभिप्रेरणा प्राणी में वे शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक दशाएं हैं, जो किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करते हैं। लॉवेल - अभिप्रेरणा मनोशारीरिक अथवा आंतरिक प्रक्रिया है, जो आवश्यकताओं से आरंभ होती है तथा जो किसी क्रिया को जारी रखती है, जिससे उसे आवश्यकता की संतुष्टि होती है।" अभिप्रेरणा के प्रकार मासलो महोदय ने आवश्यकताओं की दृष्टि से अभिप्रेरणा को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया है- (१) बाह्य अभिप्रेरणा  (२)आंतरिक अभिप्रेरणा  (३)आंतरिक बाह्य अभिप्रेरणा  (१) बाह्य अ...