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अधिगम के उपागम adhigam ke upagam

 अधिगम के उपागम 

Approaches to learning

आधुनिक युग में अधिगम- परिस्थितियों को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए यंत्रीकृत एवं यंत्रेतर साधनो का प्रयोग अत्यधिक आवश्यक है। अधिगम- परिस्थितियों को उत्पन्न करने के लिए शिक्षक विभिन्न रचनाओं तथा युक्तियों को प्रभावशाली बनाने के लिए सहायता सामग्री का उपयोग करता है। शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी की सहायता से एक उपागम का विकास हुआ है जिसे हार्डवेयर उपागम कहते हैं। इस उपागम के अंतर्गत शिक्षण में विभिन्न प्रकार की दृश्य - श्रव्य सामग्री का उपयोग किया जाता है।


हार्डवेयर उपागम एवं सॉफ्टवेयर उपागमों का अर्थ

शिक्षण में प्रयुक्त होने वाली श्रव्य- दृश्य सामग्री को हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर का उपागम कहा जाता है, क्योंकि ये साधन छात्रों की श्रवण तथा चाक्षक इंद्रियों को किसी न किसी मात्रा में प्रभावित करते हैं। अतः इसे दृश्य- श्रव्य सामग्री भी कहा जाता है। अतः दृश्य - श्रव्य सामग्री से अभिप्राय है- वे शिक्षण साधन जिनका प्रयोग छात्रों के दृश्य - श्रव्य की ज्ञानेंद्रियों को सक्रिय कर दें और जिनके पाठ सरल हो जाए। 

शिक्षण प्रक्रिया में जब शिक्षण विधियां और प्रविधियां प्रभावशाली दिखाई नहीं देती तो इस प्रयोग की सामग्री को प्रयोग किया जाता है। यह सामग्री न केवल सामग्री अधिगम प्रक्रिया को ही प्रभावित करती है अपितु शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्रयुक्त होने वाली विधियों तथा प्रवृत्तियां को भी प्रभावित करती है। डेंट के अनुसार, "दृश्य- श्रव्य सामग्री वह है जो कक्षा में या अन्य शिक्षा परिस्थितियों में लिखित या बोली गई पाठ्य सामग्री को समझने में सहायता दें।


हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तकनीकों की आधुनिक शैक्षिक कार्यकलापों में भूमिका

हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उपागम दोनों का आपस में घनिष्ठ संबंध है। सॉफ्टवेयर में अभिक्रमित और हार्डवेयर उपागम में दृश्य- श्रव्य सामग्री आपस में संबंधित होती हैं। इस प्रणाली में शिक्षण में, पाठ्यवस्तु के कुछ निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए अनेक व्यूह रचनाओं व युक्तियों द्वारा छात्रों को सीखने के अनुभव प्रदान किए जाते हैं। इन अनुभवों की सहायता से छात्र में अपेक्षित व्यवहार में परिवर्तन संभव है।


हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर उपागमाें का वर्गीकरण 

अधिगम का वर्गीकरण निम्नलिखित दो आधारों पर किया जा सकता है-

  • (a) इंद्रियों के प्रयोग के आधार पर
  • (b) तकनीकी आधार पर

(A) इंद्रियों के प्रयोग के आधार पर

(१) श्रव्य सहायक सामग्री 

  • इसमें रेडियो प्रसारण, टेप रिकॉर्डर, ग्रामोफोन, लिंगवा फोन आदि आते हैं।

(२) दृश्य सहायक सामग्री

  • यह साधन चक्षु- इन्द्रियों को प्रभावित करते हैं। इस श्रेणी में चार्ट, मॉडल, मानचित्र, ग्राफ, श्यामपट्ट,बुलेटिन बोर्ड, फ्लैनल बॉर्ड, संग्रहालय, चित्र विस्तार यंत्र, जादुई लालटेन, स्लाइडे फिल्म, पट्टीयां तथा चित्रदर्शक मूक चित्र तथा वास्तविक पदार्थ आदि आते हैं।

(३) श्रव्य - दृश्य सामग्री-

  • यह सामग्री श्रव्य तथा चक्षु दोनों इंद्रियों को प्रभावित करती है। इसमें ड्रामा, दूरदर्शन, ध्वनि वाले चलचित्र, कंप्यूटर सहायक शिक्षण डॉक्यूमेंट्री फिल्में आदि आते हैं।

(४) क्रियात्मक सामग्री

  • इस श्रेणी में वह साधन आते हैं जो देखने आवाज और करने, की क्रिया द्वारा अधिगम को प्रभावित करने में सहायक होते हैं, जैसे भूमिका निभाना प्रयोगशाला या कार्यशाला में प्रयोग करना, नाटकीयता आदि।

(B) तकनीकी आधार 

(१) सरल हार्डवेयर

  • इसमें एपिडायस्कोप, स्लाइड प्रोजेक्टर, ओवरहेड प्रोजेक्टर, फिल्म स्ट्रिप प्रोजेक्टर, जादुई लालटेन आदि शामिल है।

(२) हार्डवेयर

  • इसमें रेडियो, दूरदर्शन टैली लेटचर, टेप रिकॉर्डर, रिकॉर्डर प्लेयर्स, सिनेमा, कंप्यूटर आदि सम्मिलित है।

(३) सॉफ्टवेयर 

  • इसमें छुपी हुई सामग्री जैसे चित्र ग्राफ, चार्ट, मानचित्र, व्यंग चित्र, मॉडल आदि सम्मिलित है।


हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर अथवा सहायक साधनों के कार्य

(१) स्पष्टता

  • सहायक सामग्री से कई बार कठिन से कठिन सिद्धांत या प्रत्यय स्पष्ट हो जाते हैं। इस कार्य में माडलों,चित्रों तथा चार्टों का भी बहुत योगदान होता है। गणित के शिक्षक के लिए तो श्यामपट्ट आवश्यक होता है ।

(२) ध्यान केंद्रित करना

  • इस प्रकार की सामग्री छात्रों के मन तथा ध्यान को शिक्षण की ओर केंद्रित करने का कार्य करती है। जब कक्षा में छात्रों का ध्यान या मन इधर-उधर भटकने लगता है तो इस तरह की सामग्री का प्रयोग किया जा सकता है।

(३) अभिप्रेरणा 

  • छात्रों को अधिगम के लिए यह सहायक सामग्री अभिप्रेरित भी करती हैं। यदि शिक्षक कोई नया मॉडल कक्षा में लेकर जाता है तो सभी छात्र उसे देखने के लिए उत्सुक होते हैं।

(४) क्रिया करने का अवसर

  • सहायक सामग्री के प्रयोग से छात्रों को भी विभिन्न प्रकार की क्रिया करने के अवसर प्राप्त होते हैं। जैसे कोई चलचित्र दिखाने के बाद छात्र उस पर बाद- विवाद का अवसर प्राप्त करते हैं।

(५) ज्ञानेंद्रियों का अधिक से अधिक प्रयोग

  • सहायक सामग्री के प्रयोग से छात्र अपनी सभी इंद्रियों का प्रयोग करते हैं। इसमें अधिगम प्रभावशाली होता है।

(६) रटने पर अंकुश लगाना

  • सहायक सामग्री का प्रयोग पाठ्य- वस्तु को रटने पर रोक लगाता है ।छात्र इस सामग्री से प्रत्येक चीज को समझने का ऑपरेशन करेगा इससे ज्ञान स्थाई भी होता है।

(७) अनुशासनहीनता पर नियंत्रण

  • कक्षा में सहायक सामग्री का प्रयोग छात्रों को व्यस्त कर देता है। इसमें खाली बैठे छात्रों को अनुशासनहीनता की स्थिति उत्पन्न करने का अवसर ही नहीं मिलता।

(८) समय और शक्ति की बचत

  • इन सहायक साधनों के प्रयोग से शिक्षकों तथा छात्रों का समय और शक्ति दोनों ही नष्ट होने से बच जाती है।

(९) शब्दावली में वृद्धि

  •  रेडियो तथा टेलीविजन, आदि पर पाठकों को सुनकर छात्रों की शब्दावली का विकास होता है।

(१०) वैज्ञानिक मनोवृति का विकास

  • कक्षा में हार्डवेयर के प्रयोग से तथा तकनीकी सिद्धांतों पर आधारित अन्य सामग्री के विधिवत प्रयोग से छात्रों में वैज्ञानिक मनोवृति का विकास होता है।

(११) छात्रों को पुनर्बलन प्रदान करना

  • छात्रों को सहायक सामग्री पुनर्बलन भी प्रदान करती है। छात्र जो सिद्धांत रूप में पढ़ते हैं, जब उन्हें प्रयोगात्मक रूप से बताया जाता है तो उनके सैद्धांतिक ज्ञान का मूल्यांकन भी हो जाता है। इससे उन्हें पुनर्बलन मिलता है।

(१२) शिक्षण में कुशलता

  • सहायक सामग्री के प्रयोग से  शिक्षण में कुशलता आती है और शिक्षकों में भी आत्म - विश्वास पैदा होता है। पाठ रुचिकर भी बनता है।

(१३) कक्षा - अंतक्रिया को बढ़ाना 

  • कक्षा में सीखा गया या अर्जित किया गया ज्ञान अन्य परिस्थितियों में प्रयोग करने से स्थाई होता है। इसे अधिगम का स्थानांतरण भी कहते हैं। सहायक सामग्री से यह स्थानांतरण अधिक होता है।

(१४) सार्थक अनुभव

  • सहायक सामग्री के प्रयोग से छात्रों को सार्थक अनुभव प्रदान किए जाते हैं। छात्र प्रत्येक सामग्री को समीप से देखकर सुखद अनुभव करता है।

(१५) साधनों की कमी को पूरा करना

  • सहायक सामग्री उन क्षेत्रों में स्कूलों आदि की कमियों को भी पूरा करती है और इससे विषय विशेषज्ञों की कमी भी पूरी हो सकती है। जैसे अच्छे शिक्षकों के रेडियो पाठों का प्रसारण, विज्ञान के पाठों का दूरदर्शन पर प्रदर्शन आदि।

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