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अधिगम के उपागम adhigam ke upagam

  अधिगम के उपागम  Approaches to learning आधुनिक युग में अधिगम- परिस्थितियों को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए यंत्रीकृत एवं यंत्रेतर साधनो का प्रयोग अत्यधिक आवश्यक है। अधिगम- परिस्थितियों को उत्पन्न करने के लिए शिक्षक विभिन्न रचनाओं तथा युक्तियों को प्रभावशाली बनाने के लिए सहायता सामग्री का उपयोग करता है। शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी की सहायता से एक उपागम का विकास हुआ है जिसे हार्डवेयर उपागम कहते हैं। इस उपागम के अंतर्गत शिक्षण में विभिन्न प्रकार की दृश्य - श्रव्य सामग्री का उपयोग किया जाता है। हार्डवेयर उपागम एवं सॉफ्टवेयर उपागमों का अर्थ शिक्षण में प्रयुक्त होने वाली श्रव्य- दृश्य सामग्री को हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर का उपागम कहा जाता है, क्योंकि ये साधन छात्रों की श्रवण तथा चाक्षक इंद्रियों को किसी न किसी मात्रा में प्रभावित करते हैं। अतः इसे दृश्य- श्रव्य सामग्री भी कहा जाता है। अतः दृश्य - श्रव्य सामग्री से अभिप्राय है- वे शिक्षण साधन जिनका प्रयोग छात्रों के दृश्य - श्रव्य की ज्ञानेंद्रियों को सक्रिय कर दें और जिनके पाठ सरल हो जाए।  शिक्षण प्रक्रिया में जब शिक्षण विधिया...

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ तथा परिभाषायें shaikshik takniki ka Arth tatha paribhasha

शैक्षिक तकनीकी का अर्थ तथा परिभाषायें   शैक्षिक तकनीकी का अर्थ   शैक्षिक तकनीकी कोई शिक्षण- पद्धति नहीं है। यह एक ऐसा विज्ञान है, जिसके आधार पर शिक्षा के विशिष्ट उद्देश्यों की अधिकतम प्राप्ति के लिए विभिन्न व्यूह रचनाओं का विकास किया जा सकता है। अब शिक्षण के उद्देश्य निर्धारित हो जाते हैं तो उनको प्राप्त करने के लिए शैक्षिक तकनीकी अस्तित्व में आती है। सामान्य भाषा में ' तकनीकी ' शब्द का अर्थ ' शिल्प ' अथवा ' कला विज्ञान ' से है। तकनीकी शब्द को ग्रीक भाषा में ' टेक्निकोज ' शब्द से लिया गया है। इस शब्द का अर्थ है ' एक कला ' तकनीकी का संबंध कौशल तथा दक्षता से है।। कुछ वर्ष पहले शैक्षिक तकनीकी को दृश्य- श्रव्य सामग्री से और कक्षा में अध्यापन सामग्री से संबंधित माना जाता था, लेकिन शैक्षिक तकनीकी और श्रव्य - दृश्य सामग्री एक जैसे नहीं है। शैक्षिक तकनीकी की परिभाषायें शैक्षिक तकनीकी के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए विभिन्न परिभाषायें दी गई है जिनका विवरण अग्र प्रकार है- एस.एस. कुलकर्णी के अनुसार, " शैक्षिक तकनीकी को शिक्षण प्रक्रिया में प्...

शैक्षिक तकनीकी shaikshik takniki

  शैक्षिक तकनीकी : मौलिक अवधारणा, उद्देश्य और विशेषताएं शैक्षिक तकनीकी की मौलिक अवधारणाएं (१) शिक्षक का वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सकता है। इसके लिए शिक्षण तथा अधिगम के स्वरूपों में समन्वय स्थापित किया जा सकता है। इस समन्वय में के आधार पर शिक्षण सिद्धांतों को प्रतिपादित किया जा सकता है। (२) संप्रेषण माध्यमों और विधियों का नियोजन, कार्यान्वयन, विश्लेषण तथा मूल्यांकन सही ढंग से होना चाहिए अन्यथा उनके द्वारा समस्याओं के समाधान के साथ-साथ और समस्याओं के उत्पन्न होने का भय रहता है। (३) संप्रेषण माध्यम को मनुष्य के विस्तार के रूप में जाना जाता है। इस संप्रेषण माध्यम में टेलीविजन, फिल्म, रेडियो, टेप रिकॉर्डर, कंप्यूटर, सेटेलाइट्स आदि सम्मिलित हैं। ये तत्व मनुष्य की जैवकीय प्रणाली से अलग हैं तथा मनुष्य अपने संप्रेषण के विस्तार के लिए प्रयोग करता है। (४) मनुष्य संपूर्ण संप्रेषण विधि का एक अंग है तथा वह इस विधि का जैवकीय पक्ष है। शैक्षिक तकनीकी के विस्तृत या सामान्य उद्देश्य  (१) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षण प्रतिमान विकसित किए जाने चाहिए। (२) शिक्षण, वातावरण...

अभिप्रेरणा का अर्थ एवं परिभाषा | Abhiprerna ka Arth evam Paribhasha | Meaning and definition of motivation

  अभिप्रेरणा का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definition of motivation) अभिप्रेरणा के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम निम्नलिखित परिभाषाऐ दे रहे हैं- थॉमसन - "अभिप्रेरणा व कला है, जिसके द्वारा छात्रों में ज्ञान प्राप्त करने की रुचि उत्पन्न की जाती है।" वूडवर्थ - "अभिप्रेरणा व्यक्तियों की दशा का वह समूह है, जो किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए निश्चित व्यवहार स्पष्ट करते हैं। जॉनसन - "अभिप्रेरणा सामान्य क्रियाकलापों का प्रभाव है, जो प्राणी के व्यवहार को उचित मार्ग पर ले जाती है। मैकडूगल - "अभिप्रेरणा प्राणी में वे शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक दशाएं हैं, जो किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करते हैं। लॉवेल - अभिप्रेरणा मनोशारीरिक अथवा आंतरिक प्रक्रिया है, जो आवश्यकताओं से आरंभ होती है तथा जो किसी क्रिया को जारी रखती है, जिससे उसे आवश्यकता की संतुष्टि होती है।" अभिप्रेरणा के प्रकार मासलो महोदय ने आवश्यकताओं की दृष्टि से अभिप्रेरणा को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया है- (१) बाह्य अभिप्रेरणा  (२)आंतरिक अभिप्रेरणा  (३)आंतरिक बाह्य अभिप्रेरणा  (१) बाह्य अ...

इंटरानेट एवं इंटरनेट सेवाओ में अंतर Intarnet Aur Internet main antar

इंटरानेट एवं इंटरनेट सेवाओ में अंतर इंटरानेट संचार माध्यम में कंप्यूटर्स के प्रयोग ने सूचना जगत में क्रांति ला दी है व्यावसायिक जगत के लिए तो कंप्यूटर रीड की हड्डी का कार्य कर रहा है। दूरी चाहे कुछ कदमों की हो अथवा हजारों किलोमीटर की, कंप्यूटर द्वारा सूचनाएं तीव्रता से प्रेषित व प्राप्त की जा सकती है। कंप्यूटर नेटवर्क आपस में जुड़े हुए विभिन्न कंप्यूटर्स का एक जल होता ह। इसमें उपस्थित कंप्यूटर भौगोलिक रूप से तो पृथक होते हैं परंतु किसी न किसी संचार माध्यम द्वारा जुड़े होते हैं तथा स्वयं में स्वायत्त भी होते हैं। नेटवर्क के अंतर्गत कंप्यूटर एक दूसरे से जानकारी का आदान-प्रदान करने के अतिरिक्त आपस में अन्य हार्डवेयर; जैसे- प्रिंटर, मॉडेम आदि; का भी साझा उपयोग करते हैं। दो या दो से अधिक कंप्यूटर्स को अन्य उपकरणों के साथ आपस में जोड़ना नेटवर्क कहलाता है तथा इस प्रकार से कंप्यूटर को जोड़कर उपलब्ध साधनों के प्रयोग करने की विधि को ' इंटरानेट' कहते हैं। भौगोलिक दूरी के आधार पर कंप्यूटर के इंटरानेट का वर्गीकरण किया जाता है। यह वर्गीकरण निम्नलिखित है - (१) लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) सीमित...

एडगर डेल का अनुभव शंकु Adler ka Anubhav shanku

एडगर डेल का अनुभव शंकु   अनुभव शंकु Anubhav shanku बहु इंद्रिय अनुदेशन के लिए एडगर डेल ने दृश्य-श्रव्य साधनों की सहायता से अनुभवों के आधार पर एक विशेष प्रकार का वर्गीकरण प्रस्तुत किया जिसे अनुभव के त्रिकोण की संज्ञा दी। सहायक सामग्री से जितने भी प्रकार के अनुभव व्यक्ति को प्राप्त होते हैं तथा वे सहायक साधन जो इन अनुभवों को प्रदान करते हैं उन्हें विभिन्न श्रेणियां में रखने का प्रयास किया गया है।  इन श्रेणियों को एक त्रिकोण के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस त्रिकोण में सम्मिलित अनुभवों में प्रत्यक्ष अनुभवों से लेकर अमूर्त चिंतन तक को शामिल किया गया है। इन अनुभवों के पर आधारित वर्गीकरण का मुख्य उद्देश्य बहू-इंद्रिय अनुदेशन प्रदान करता है । इस वर्गीकरण के पीछे डेल की मुख्य धारणा यह रही है कि शिक्षण कार्य से विद्यार्थियों को अनुभव प्रदान करने के लिए, ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों की संख्या में वृद्धि करने से विद्यार्थियों के अनुभव की गहनता बढ़ती चली जाती है।  बहुइंद्रियों को क्रियाशील करने पर विद्यार्थियों को मूल अनुभव या आंतरिक अनुभव प्राप्त कराया जा सकता ...

शिक्षण की मस्तिष्क उद्देलन व्यूह रचना mastishk udvelan vyuh rachna

  शिक्षण की मस्तिष्क उद्देलन व्यूह रचना मस्तिष्क हलचल या उद्वेलन का शाब्दिक अर्थ है मस्तिष्क को उद्वेलित करना, उसमें उथल-पुथल मचाना, यानी विचारों की ऐसी आंधी लाना जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति,प्रक्रिया या संप्रत्यय के बारे में अनगिनत विचार तथा सोच एक साथ अनायास ही उनकी अच्छाई- बुराई, औचित्य अनौचित्य की परवाह किए बिना मस्तिष्क पटल पर उभर जाएं।  व्यूह रचना के भी रूप में इसे प्रतिष्ठित करने का श्रेय ए. एफ. ओजबोर्न को जाता है जिन्होंने अपनी रचना के द्वारा 1963 में इस सबके सामने रखा। यह व्यूह रचना ऐसी व्यूह रचना है जिसमें ऐसे साधन प्रयोग किए जाते हैं जो छात्रों के मस्तिष्क में ज्ञान प्राप्ति तथा चिंतन के प्रति उद्देलन मचा देते हैं। इसमें छात्रों के समक्ष एक समस्या प्रस्तुत की जाती है जिस पर सभी छात्र स्वतंत्रतापूर्वक विचार करते हैं, वार्तालाप तथा वाद - विवाद करते हैं।  शिक्षक सभी विचारों को श्यामपट्ट पर लिखता चला जाता है। वाद- विवाद और चिंतन तथा वार्तालाप करते-करते एक ऐसा बिंदु या अवस्था आ जाती है जब छात्र एकदम समस्या को हल कर देते हैं। यह व्यूह रचना विशेष रूप से उच्च संज्ञ...