शिक्षण की मस्तिष्क उद्देलन व्यूह रचना
- मस्तिष्क हलचल या उद्वेलन का शाब्दिक अर्थ है मस्तिष्क को उद्वेलित करना, उसमें उथल-पुथल मचाना, यानी विचारों की ऐसी आंधी लाना जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति,प्रक्रिया या संप्रत्यय के बारे में अनगिनत विचार तथा सोच एक साथ अनायास ही उनकी अच्छाई- बुराई, औचित्य अनौचित्य की परवाह किए बिना मस्तिष्क पटल पर उभर जाएं।
- व्यूह रचना के भी रूप में इसे प्रतिष्ठित करने का श्रेय ए. एफ. ओजबोर्न को जाता है जिन्होंने अपनी रचना के द्वारा 1963 में इस सबके सामने रखा।
- यह व्यूह रचना ऐसी व्यूह रचना है जिसमें ऐसे साधन प्रयोग किए जाते हैं जो छात्रों के मस्तिष्क में ज्ञान प्राप्ति तथा चिंतन के प्रति उद्देलन मचा देते हैं। इसमें छात्रों के समक्ष एक समस्या प्रस्तुत की जाती है जिस पर सभी छात्र स्वतंत्रतापूर्वक विचार करते हैं, वार्तालाप तथा वाद - विवाद करते हैं।
- शिक्षक सभी विचारों को श्यामपट्ट पर लिखता चला जाता है। वाद- विवाद और चिंतन तथा वार्तालाप करते-करते एक ऐसा बिंदु या अवस्था आ जाती है जब छात्र एकदम समस्या को हल कर देते हैं।
- यह व्यूह रचना विशेष रूप से उच्च संज्ञानात्मक योग्यताओं के विकास तथा चिंतन स्तर के अधिगम, सृजनशील कार्यों और समस्या अधिगम अर्जन के एक प्रभावपूर्ण सहायक के रूप में अधिक उपयोगी सिद्ध होती है।
- यह छात्रों में चिंतन करने की क्षमता विकसित करती है और उन्हें समस्या के विश्लेषण, संश्लेषण तथा मूल्यांकन में प्रशिक्षण प्रदान करती हैं।
मस्तिष्क उद्देलन व्यूह रचना के सोपान
विल्सन महोदय ने सन 1987 में इसके 8 सोपान बताए थे-
(१) परिचय
इसमें अध्यापक सामान्य निर्देश देता है यथा -
- a) सक्रिय सहभागिता
- b) आलोचना विचार
- C) अभिव्यक्ति
- d) संख्या
- e) तारतम्यता
(२) हिमभंजन
- प्रचलित विचारों को तोड़ते हुए नए विचारों को उत्पन्न करना।
(३) समस्या का परिभाषीकरण
- इसके अंतर्गत एक स्पष्ट कथन के रूप में समस्या को प्रस्तुत किया जाता है।
(४) समस्या पर संकेंद्रण
- इसके अंतर्गत छात्रों से समस्या के बारे में पूछा जाता है।
(५) संकेंद्रित कथन का चुनाव
- इसके अंतर्गत शिक्षक लोकतांत्रिक विधि से छात्रों की सहायता से संकेंद्रित कथन का चुनाव करता है।
(६) मस्तिष्क उद्वेलन
- इसमें अध्यापक छात्रों से संकेंद्रित कथन के संदर्भ में विचार जानने का प्रयास करता है। ये विचार ही समाधान का विकास करते हैं।
(७) सुझाव
- इसके अंतर्गत सुझाव का चयन एवं सुझाव को उपयोगी बनाने पर बोल दिया जाता है।
(८) मूल्यांकन
- इसके अंतर्गत सत्र की समाप्ति के उपरांत बहुत से ऐसे विचार एवं सुझाव शेष रह जाते हैं जिनका मूल्यांकन ही नहीं हो पाता है। इसके लिए कुछ समय बाद मूल्यांकन किया जाता है।
मस्तिष्क उद्देलन व्यूह रचना की विशेषताएं
- (१) इस व्यूह रचना में छात्र का मस्तिष्क पूरी तरह से सक्रिय रहता है।
- (२) इसमें छात्रों की मानसिक शक्तियों का विकास होता है।
- (३) यह व्यूह रचना बालक के संज्ञानात्मक पक्ष के विकास में अधिक सहायक है।
- (४) इसकी सहायता से छात्रों में आत्मविश्वास, मौलिकता एवं सृजनात्मकता आदि गुणों का विकास करने में सहायता मिलती है ।
- (५) यह व्यूह रचना शैक्षिक तथा मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है ।
- (६) यह छात्रों को स्वतंत्रतापूर्वक चिंतन के लिए प्रेरित करती हैं।
- (७) इस व्यूह रचना द्वारा छात्रों के भावात्मक पक्ष का भी विकास होता है।
- (८) इस व्यूह रचना से छात्रों में सामूहिक रूप से चिंतन तथा कार्य करने की आदत का विकास होता है।
- (९) इस व्यूह रचना में समस्या समाधान के गुणों का विकास होता है ।
मस्तिष्क उद्वेलन व्यूह रचना की सीमाएं
मस्तिष्क उद्वेलन व्यूह रचना की निम्न सीमाएं हैं
- (१) यह व्यूह रचना व रचना किसी विषय के अध्ययन की सुव्यवस्थित विधि नहीं है।
- (२) इसमें मूल्यांकन कार्य कठिन होता है।
- (३) इसमें परिणामो की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।
- (४) इसके अंतर्गत मूल्यांकन में अधिक समय लगता है।
- (५) इसमें कुछ छात्र सहभागिता करने में उदासीन रहते हैं।
- (६) इसमें छात्रों का नियंत्रण करना एक कठिन कार्य है।
- (७) इसमें पिछले छात्र को लाभ नहीं मिल पाता है।
- (८) इसके द्वारा समस्त विषयों का ज्ञान नहीं प्रदान किया जा सकता।
- (९) यह खर्चीली शिक्षण व्यूह रचना है।
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