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IGNOU MA Hindi MHD 9 Assignment

IGNOU MA Hindi MHD 9 Assignment  MHD 9 Question Paper  IGNOU MA Hindi MHD 9 Assignment   खंड  क  निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए  (क) कथा की लिखित परंपरा पर प्रकाश डालिए कथा की लिखित परंपरा एक महत्वपूर्ण साहित्य और सांस्कृतिक धरोहर है, जो समाज के इतिहास, मान्यताओं, और विचारधाराओं को संरक्षित और संप्रेषित करती है। लिखित कथाएं हमें प्राचीन समाजों के जीवन और उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी देती है, साथ ही उनके धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का परिचय कराती है। प्रारंभिक दौर  कथा की लिखित परंपरा का प्रारंभ बहुत पुराने समय से माना जाता है, जब लोग अपने अनुभवों और कहानियों को पथरों, ताम्रपत्रों और पांडुलिपियों पर लिखते थे। वैदिक काल में, ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद जैसी धार्मिक ग्रंथो में अनेक कथाएं मिलती हैं, जो समाज की धार्मिक और नैतिक संरचना को दर्शाती हैं। इन ग्रंथो में अनेक कथाएं मंत्रों और के रूप में प्रस्तुत की गई है जो उसे समय की सामाजिक संरचना धार्मिक आस्था और नैतिक मान्यताओं का दर्पण है। रामायण और महाभारत  राम...

कथा की लिखित परंपरा Katha ki likhit parampara

कथा की लिखित परंपरा कथा की लिखित परंपरा कथा की लिखित परंपरा एक महत्वपूर्ण साहित्य और सांस्कृतिक धरोहर है, जो समाज के इतिहास, मान्यताओं, और विचारधाराओं को संरक्षित और संप्रेषित करती है। लिखित कथाएं हमें प्राचीन समाजों के जीवन और उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी देती है, साथ ही उनके धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों का परिचय कराती है। प्रारंभिक दौर  कथा की लिखित परंपरा का प्रारंभ बहुत पुराने समय से माना जाता है, जब लोग अपने अनुभवों और कहानियों को पथरों, ताम्रपत्रों और पांडुलिपियों पर लिखते थे। वैदिक काल में, ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद जैसी धार्मिक ग्रंथो में अनेक कथाएं मिलती हैं, जो समाज की धार्मिक और नैतिक संरचना को दर्शाती हैं। इन ग्रंथो में अनेक कथाएं मंत्रों और के रूप में प्रस्तुत की गई है जो उसे समय की सामाजिक संरचना धार्मिक आस्था और नैतिक मान्यताओं का दर्पण है। रामायण और महाभारत  रामायण और महाभारत दो महान ग्रंथ है, जो भारतीय कथा परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ग्रंथ केवल धार्मिक और पौराणिक कहानी नहीं है, बल्कि उनमें अनेक सामाजिक, राजनीतिक, और नैतिक संदेश भ...

काव्य लक्षण और परिभाषा Kavya Lakshan Aur Paribhasha

कविता की  परिभाषा क्या है ? उसके लक्षण क्या है ? इस पर प्राचीन काल से ही विभिन्न विद्वानों ने चिंतन-मनन कर उत्तर देने का प्रयास किया है। इस पोस्ट में संस्कृत आचार्यों से लेकर आधुनिक और पाश्चात्य विद्वानों द्वारा जो  काव्य के लक्षण बताए गए हैं। उनको प्रस्तुत किया गया है। उम्मीद है यह पोस्ट कविता के संदर्भ में आपकी समझ को विकसित करनें में सहयोग करेगा। काव्य लक्षण और परिभाषा । शिक्षा विचार । Kavya Lakshan Aur Paribhasha । Shiksha Vichar  काव्य-लक्षण काव्य का लक्षण अथवा परिभाषा क्या है ? इसे मानसिक आधार पर अव्याप्ति तथा अतिव्याप्ति दोषों से रहित यथावत् प्रस्तुत करना अति कठिन है। प्राचीन काल से ही काव्यशास्त्रियों ने इसे अपने-अपने युग में तर्क की कसौटी पर कसा तथा प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से इसका उत्तर देने का प्रयास किया, परंतु फिर भी इसमें किसी न किसी बात के कारण वह खरापन नहीं आ पाता है जिसकी अपेक्षा की जाती है। उनमें कोई-न-कोई असमानता दिखाई देती है और उनमें न्यूनाधिक भेद की झलक पड़ती है। क्योंकि किसी विशेष विद्वान की परिभाषा सार्वकालिक नहीं होती अपितु वह अपने ही युग की आवाज ...

माध्यमिक शिक्षा आयोग द्वारा निर्धारित शिक्षा के उद्देश्य madhyamik Shiksha aayog dwara nirdharit Shiksha ke uddeshy

माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53। माध्यमिक शिक्षा आयोग द्वारा निर्धारित शिक्षा के उद्देश्य माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53 माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्य व्यवसायिक कुशलता की उन्नति नेतृत्व का विकास  जनतंत्रीय नागरिकता का विकास इस लेख को पढ़ने के बाद आप निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम होंगे  माध्यमिक शिक्षा आयोग अथवा मुदालियर आयोग 1952-53 का विस्तृत विवरण दीजिए। मुदालियर आयोग के अनुसार शिक्षा के क्या उद्देश्य है होने चाहिए। मुदालियर कमीशन मुदालियर आयोग के अनुसार शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए।  मुदालियर आयोग के व्यवसायिक शिक्षा संबंधी चुनाव क्या है ? माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53 (Secondary Education Commission (Mudaliar Commission) 1952-53) स्वतंत्र भारत में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों में अत्यंत दुर्गति से परिवर्तन हो रहे थे। इन परिस्थितियों में समन्वय की भावना स्थापना करने के लिए माध्यमिक शिक्षा का पुनर्गठन करने की आवश्यकता का अनुभव किया गया। इसलिए सन 1948 में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने भारत सरकार को एक आयोग नि...

ज्ञान का अर्थ और उसके प्रमुख सिद्धांत Gyaan Ka Arth Aur Uske Siddhant, Meaning of Knowledge and Its Principles

ज्ञान का अर्थ क्या होता है? What is the meaning of Knowledge? ज्ञान की विभिन्न परिभाषाएं Different Definitions of Knowledge. अनुभवाद का सिद्धांत क्या है? What is the theory of empiricism? बुद्धिवाद का सिद्धांत क्या है? What is theTheory of rationalism प्रयोजनवाद का सिद्धांत क्या है? तर्कवाद का सिद्धांत क्या है? योगवाद का सिद्धांत क्या है? समीक्षावाद का सिद्धांत क्या है? ज्ञान का अर्थ  ज्ञान शब्द 'ज्ञ' धातु से बना है जिसका अर्थ है:- जानना, बोध, साक्षात अनुभव अथवा प्रकाश। सरल शब्दों में कहा जाए तो किसी वस्तु अथवा विषय के स्वरूप का वैसा ही अनुभव करना ही पूर्ण ज्ञान है। उदाहरण के लिए मान लीजिये कि यदि हमें दूर से पानी दिखाई दे रहा है और निकट जाने पर भी हमें पानी ही मिलता है तो कहा जाएगा अमुक जगह पानी होने का वास्तविक ज्ञान हुआ।  इसके विपरीत यदि निकट जाकर हमें पानी के स्थान पर रेत दिखाई दे क्यों कहा जाएगा कि अमुक जगह पर पानी होने का जो बोध हुआ वह गलत था। ज्ञान एक प्रकार की मनोदशा है। ज्ञान, ज्ञाता के मन में पैदा होने वाली एक प्रकार की हलचल है. हमारे मन में अनेक विचार आते हैं और हमा...

शिक्षण व्यूह रचना का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and definition of teaching strategy)

                                     शिक्षण व्यूह रचना का अर्थ एवं परिभाषा                       (Meaning and definition of teaching strategy) शिक्षण व्यूह रचना के विकास के लिए जो क्रियायें शिक्षण करता है, उन्हें शिक्षण युक्तियां कहते हैं।शिक्षण का व्यवहार तथा प्रभाव जो शिक्षण के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं उन्हें भी शिक्षण युक्ति माना जाता है। इनकी सहायता से शिक्षक अनुदेशन को प्रयुक्त करता है और छात्र तथा शिक्षक के मध्य अन्तःप्रक्रिया होती है।शिक्षक युक्तियों का विस्तार अशाब्दिक व्यवहार से लेकर शाब्दिक व्यवहार तक होता है। शिक्षक के दोनों ही प्रकार के व्यवहार सार्थक होते हैं और छात्र के व्यवहार से संबंधित होते हैं। शिक्षण व्यूह रचनाओं के प्रकार व्याख्यान व्यूह रचना प्रदर्शन व्यूह रचना खोज व्यूह रचना ऐतिहासिक खोज विधि परियोजना व्यूह रचना गृह कार्य टी ग्रुप रचना अथवा नेता विहीन समूह मस्तिष्क उद्वेलन पात्र अभिनय टोली शिक्षण भाष...

माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53 madhyamik Shiksha mudaliar aayog

 माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53। माध्यमिक शिक्षा आयोग द्वारा निर्धारित शिक्षा के उद्देश्य माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53 madhyamik Shiksha mudaliar aayog  माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53 माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्य व्यवसायिक कुशलता की उन्नति नेतृत्व का विकास  जनतंत्रीय नागरिकता का विकास इस लेख को पढ़ने के बाद आप निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम होंगे  माध्यमिक शिक्षा आयोग अथवा मुदालियर आयोग 1952-53 का विस्तृत विवरण दीजिए। मुदालियर आयोग के अनुसार शिक्षा के क्या उद्देश्य है होने चाहिए। मुदालियर कमीशन मुदालियर आयोग के अनुसार शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए।  मुदालियर आयोग के व्यवसायिक शिक्षा संबंधी चुनाव क्या है ? माध्यमिक शिक्षा मुदालियर आयोग 1952-53 (Secondary Education Commission (Mudaliar Commission) 1952-53) स्वतंत्र भारत में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों में अत्यंत दुर्गति से परिवर्तन हो रहे थे। इन परिस्थितियों में समन्वय की भावना स्थापना करने के लिए माध्यमिक शिक्षा का पुनर्गठन करने की आवश्यक...